Tuesday, December 7, 2010

आशाएँ

रात एक घनी थी,
चल पड़ा वो
आशा उत्साह
किरणो की ज्योति,
अँधेरे से लड़ पड़ा वो
जंग ऐसी भी नहीं,
की सक पका गयी मैं
रूह को छू गयी
जंग ऐसी हुई .
अंधकार में प्रकाश
मुश्किलें कई मिली
वो डरा नही
वो थका नहीं,
अँधेरे से वो हारा नहीं .
नयी सुबह
नयी आशा लिए
चल पड़ा वो
तेरे मेरे
सपने सच करने
अंधकार से लड़ पड़ा वो .