Saturday, December 22, 2012

सच्चाई का आइना

Reading about the recent gangrape case in delhi, I have lost all faith in our bureaucratic system. Its time we, the women stood up for ourselves and took steps to make our country safe for us. Lost in contemplation I penned down a few lines, dedicated to that unfortunate girl....


कुछ आशियाने उसने भी बनाये
सपनो की उस दुनिया
को उसने भी सजाया
उम्मीदों से आशायों  से
कुछ अभिलाशायों  से
कुछ आकांशाओं से।
परी  कथायों की वो दुनिया
लगी उसे कितनी सयानी कितनी सुनहरी .
सचाई से घबराती
वास्तविकता को इन्कारती
छुप सी गई दुनिया में वो अपनी .
भोली सी पगली सी
समझ ना पाई
कटता नही जीवन सपनो में
कटता है वो यहीं
तरल जमीन पर
सुलगती धूप, ठिठुरती ठंड में।
तू भाग नही सकती, तू भूल नही सकती
सच्चाई के आईना से तू छुप नही सकती।
निगल ले कुचल ले
आज तू सामना तो कर ले।
दुर्गा का अवतार तू
ज्वाला का प्रचार तू
उठा आज तलवार तू
समय है आज नाश का
समय है विनाश का।
तू ही है जननी तू ही है विनाश्कारिणी।
जब जब पाप है छाया
तूने अपना प्रज्वलित रूप है दिखाया
नष्ट कर उन कुकर्मियों  का
दुनिया जिसने तेरी बिगाड़ी
समय है तेरा
समय है तेरी सपनो की दुनिया का